क्या भरण-पोषण के मामले में पत्नि की आय प्रदर्शित करना आवश्यक है?

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क्या भरण-पोषण के मामले में पत्नि की आय प्रदर्शित करना आवश्यक है? यदि पत्नी की कुछ आय हो और वह अपना आय प्रदर्शित नहीं करना चाहती है तो क्या न्यायालय उसे मजबूर कर सकता है कि वह अपना आय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करे? जब मैंने भरण-पोषण के लिए मुकद्दमा किया था उस समय मेरे पास आय का कोइ जरिया नहीं था। लेकिन मुकद्दमें के लंम्बित रहने के दौरान मैंने एक कम्पनी में पार्ट टाईम जाॅब करना शुरु किया। मुझे बारह हजार रुपया महीना मिलता है लेकिन मेरे बैंक अकाउंट में नहीं आता बल्कि मुझे कैश में मिलता है। इसी शर्त पर मैंने वह नौकरी ज्वाइन किया था। मेरे पति के पास कोइ सबूत नहीं है कि मैं नौकरी करती हूँ। लेकिन फिर भी उन्होने माननीय न्यायालय से मांग किया कि मैं अपनी आय का प्रमाण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करू। क्या इस परिस्थिति में मुझे अपनी आय का प्रमाण पत्र देना होगा?

प्रश्न पूछा गया: बिहार से

यदि आपके पास आय का स्वतंत्र जरिया है तो उसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने रजनीश बनाम नेहा के वाद में दिशा निर्देश जारी किया है, जिसके अनुसार भरण-पोषण के प्रत्येक वाद में मुकद्दमें के दोनों पक्षकारों को अपनी आय-व्यय, दायित्व, ऋण और चल-अचल सम्पत्ति का पूर्ण विवरण एक शपथ पत्र के द्वारा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है। उक्त शपथ पत्र में सभी विवरण सत्य होना चाहिए, असत्य विचरण देने पर शपथकर्ता पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 215 के तहत शपत पर झूठा कथन करने के अपराध का मुकद्दमा चलाया जा सकेगा।

अतः आपको अपने आय के सम्बंध मे झूठा कथन नहीं करना चाहिए। भले ही अभी आपके पति को आपके आय की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन भरण-पोषण के वाद के निर्णीत होने के बाद यदि उन्हे इस तथ्य की जानकारी हो जाती है तो वह आपके विरुद्ध झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत करने के संम्बंध में आपके विरुद्ध मुकद्दमा चलाने के लिए माननीय न्यायालय को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 379 के तहत आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। उस स्थिति में न्यायालय आपके विरुद्ध मुकद्दमा भी चला सकता है और पूर्व में दिये गये भरण-पोषण के आदेश को रद्द भी कर सकता है।

न्यायालय द्वारा भरण-पोषण का निर्धारण पति के आर्थिक स्थिति और उसके सामाजिक प्रास्थिति के आधार पर निश्चित किया जाता है। यदि पत्नी अस्थाई तौर पर कुछ आय कर रही है तो उसके आधार पर न्यायालय भरण-पोषण की राशि कुछ कम कर सकता है लेकिन भरण-पोषण का आदेश देने से इंकार नहीं कर सकता है। अतः आपको अपनी आय छिपाना नहीं चाहिए।

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